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हस्त रेखा ज्ञान । मस्तिक रेखा। ह्र्दय रेखा । जीवन रेखा । भाग्य रेखा । मांगलिक दोष । विवाह रेखा ।

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वास्तु शास्त्र के अनुसार ये वस्तु घर के कमरे में नही रखने चाइए

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टूल्स और यंत्र: निर्माण कार्यों के लिए इस्तेमाल होने वाली टूल्स और यंत्रों को रूम में नहीं रखना चाहिए। इससे वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और घर में शांति और सामंजस्य को प्रभावित कर सकता है। अप्रयोज्य वस्त्र: पुराने, फटे हुए या अप्रयोज्य कपड़े रूम में नहीं रखने चाहिए। ऐसे वस्त्र नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करके घर में शांति और समृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। तीखी, डांगर या अत्यधिक विद्रोही रंग: रूम में तीखे, डांगर या अत्यधिक विद्रोही रंग के उपयोग से बचें। ये रंग तनाव और अस्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं। स्थान बदलकर प्रभावी और शानदार रंगों का चयन करें। खड़ा रखा कपड़ा: टॉयलेट पेपर, रशी या बीडशीट जैसे खड़ा रखा कपड़ा रूम में नहीं रखें। ये वस्तु अच्छे स्वास्थ्य और सुख-शांति को प्रभावित कर सकती है। इन्हें उचित तरीके से संग्रहीत करने के लिए अद्यतन करें। नकारात्मक चित्र और स्थानों के चित्र: रूम में नकारात्मक चित्र और स्थानों के चित्र न रखें। वे एक नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित कर सकते हैं और आपके मानसिक स्थिति पर असामयिक प्रभाव डाल सकते हैं। यह सुझाव केवल आपकी सहायता के लिए हैं और यथार्थत

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श्री पार्वती माता जी की आरती l shree parwati mata aarti

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  श्री पार्वती माता जी की आरती जय पार्वती माता जय पार्वती माता। ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥ जय पार्वती माता अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता। जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा। देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥ जय पार्वती माता सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता। हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥ जय पार्वती माता शुम्भ निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता। सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥ जय पार्वती माता सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता। नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता देवन अरज करत हम चित को लाता। गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥ जय पार्वती माता श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता। सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता

एकादशी माता की आरती

एकादशी माता की आरती ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता। विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥ ॐ जय एकादशी...॥ तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी। गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥ ॐ जय एकादशी...॥ मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी। शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥ ॐ जय एकादशी...॥ पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है। शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥ ॐ जय एकादशी...॥ नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै। शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥ ॐ जय एकादशी...॥ विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी। पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥ ॐ जय एकादशी...॥ चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली। नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥ ॐ जय एकादशी...॥ शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी। नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥ ॐ जय एकादशी...॥ योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी। देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥ ॐ जय एकादशी...॥ कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए। श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आन

श्री रामचंद्र कृपालु भजमन आरती

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श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं । कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं । भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनंद आनंद कंद कोशल चंद दशरथ नन्दनं । श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं । श्री राम, श्री राम… शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अङ्ग विभूषणं । आजान भुज शर चाप धर संग्राम जीत खरदूषणं । इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं । मम हृदय कंज निवास कुरु कामादि खलदल गंजनं । श्री रामचंद्र कृपालु भजमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ।