वो 7 कौन से कार्य थे जो रावण करना चाहता था लेकिन नही कर पाया । करता तो बन जाता भगवान
शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है।
इस पर्व को अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों
के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। आज हम आपको वो
बातें बता रहे हैं जो रावण, भगवान की सत्ता को मिटाने के लिए करना चाहता
था, लेकिन सफल नहीं हो पाया क्योंकि वे बातें प्रकृति के विरुद्ध थीं। उनसे
अधर्म बढ़ता और राक्षस प्रवृत्तियां अनियंत्रित हो जातीं। ये हैं वो 7 काम
जो रावण करना चाहता था, लेकिन नहीं कर पाया अगर रावण ऐसा करता तो दुनिया
में अधर्म का राज होता और वह अधर्म का भगवान ।
1. रावण का पहला सपना था कि वह संसार से भगवान की पूजा समाप्त
कर दे । जिससे इस दुनिया में बस उसका ही राज हो । इसलिए वह हमेसा अपने भाई
विभीषण से खफा रहता था । क्योंकि विभीषण रावण को सतकर्म के मार्ग पर चलने
की सलाह देता था । परन्तु रावण अपने समय में लंका नगरी में पूज्य था ।
2. रावण को स्वर्ण यानि सोना बहुत ही प्रिय था वह सोने में एक
विषेस शुगन्ध स्थापित करना चाहता था । वह इसलिए की वो दुनिया सोने के
खजानों का अधिपति बन जाये और सब उसके गुलाम हो और वह इस संसार का सबसे धनी
राजा हो ।
3. वह स्वर्ग तक सीढ़ी का निर्माण करना चाहता था । क्योंकि जो
लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान की पूजा करते है । वह लोग भगवान की पूजा
करना छोड़ देंगे जिससे वह खुद भगवान बन जाये गा ।
4. रावण के खुद के लिए भी एक बहुत बड़ी परेशानी था क्योंकि
उसका रंग काला था । वह चाहता था कि दुनिया से काला रंग खत्म हो जाये इससे
उसको किसी भी औरत का अपमान ना सहना पड़े ।
5. रावण मंदिरा का सेवन करता था वह चाहता की मंदिरा से दुर्गन्ध समाप्त हो जाये जिससे अधर्म को बढ़ावा मिले और उसका काम सार्थक हो ।
6. रावण चाहता था कि खून का रंग स्वेत हो जाये । रावण ने
दुनिया में सभी अपने पास के राजाओं के साथ सैकड़ो साल तक युद्ध किये उनको
मारकर वह उस स्थान का राजा बन बैठा । धरती खून से लाल हो गयी नदियों में
पानी नही खून बहने लगा पृथ्वी का संतुलन खराब हो गया । खून का स्वेत रंग
होने से पानी और पृथ्वी पर कोई असर ना पड़ता ।
7. रावण की लंका समुद्र के समीप बसा एक नगर था रावण चाहता था
कि दुनिया में जितने भी समुद्र है । उनका पानी मिट्ठा हो । ताकि लोग उसको
इन कार्यो से जन्म जन्मान्तर तक याद रखे । और वह अकेला इस दुनिया का अधिपति
हो
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