यहां है ब्रह्मचारी कहे जाने वाले हनुमान जी और उनकी पत्नी का मंदिर
माना जाता है कि हनुमान जी का विवाह नही हुवा था वो ब्रह्मचारी थे । परंतु भारत में एक स्थान ऐसा भी है जहां श्री हनुमान जी और उनकी पत्नी का मंदिर स्थित है ।माना जाता है कि हनुमान जी की पत्नी का नाम सुवर्चला था । और सुवर्चला सूर्य देव की पुत्री है । हर पुराण में हनुमान जी को ब्रह्मचारी बताया गया है । परंतु पाराशर संहिता में हनुमान जी का विवाह सुवर्चला से बताया गया है । इस मंदिर में भी हनुमान और उनकी पत्नी की प्रतिमा स्थित है ।दरअसल यह मंदिर भारत के राज्य तेलंगाना के खम्मम ज़िले में स्थित है । तेलंगाना के अधिकतर लोग हनुमान जी को वैवाहित ही मानते है । और भारत के अन्य भाग में हनुमान जी को अवैवाहित मानते है ।खम्मम जिला हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां यात्रियों के लिए आने जाने हेतु बस ट्रेन और जहाज की सुविधा उपलब्ध है ।
मंदिर के बारे में मान्यता है । कि जो भी साधी सुधा जोड़ा यहां
आकर श्री हनुमान जी और उनकी पत्नी की पूजा करता है । उनके बीच कभी कोई
परेसानी नही होती और उनका सम्बन्ध हमेसा अटूट रहता है । उन जातको पर श्री
हनुमान और उनकी पत्नी देवी सुवर्चला कृपया बनाये रखते है ।
पारासर संहिता में लिखा है कि हनुमान जी के गुरु सूर्य देव थे
। सूर्य देव के पास 9 आलौकिक सक्तिया थी जिन्हें हनुमान जी सीखना चाहाते
थे । उनमे से हनुमान जी 5 विद्या तो सिख गये परन्तु उनके गुरु सूर्य देव
बोले आगे की 4 विद्या वह ही व्यक्ति सिख सकता है । जो वैवहिक हो । हनुमान
जी विद्या सिखने के लिए साधी के लिए तैयार हो गए । तब हनुमान जी के लिए
कन्या की खोज सुरु हुई । खोज जाकर सूर्य देव की पुत्री पर खत्म हो गयी ।
तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो। सुवर्चला से
विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान
प्राप्त कर सको। सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी
तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन:
तपस्या में लीन हो जाएगी।यह सब बातें जानने के बाद हनुमानजी और सुवर्चला का
विवाह सूर्य देव ने करवा दिया। विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो
गईं और हनुमानजी से अपने गुरु सूर्य देव से शेष 4 विद्याओं का ज्ञान भी
प्राप्त कर लिया। इस प्रकार विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी बने हुए
हैं।
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