पदम् पुराण में लिखा है । एक रोचक तथ्य राम ने अपने हाथों से तैयार किया हुवा खुद ही तोड़ दिया था
पदम् पुराण में लिखा है । एक रोचक तथ्य राम ने अपने हाथों से तैयार किया हुवा खुद ही तोड़ दिया था
लंका पर चढाई करते हुवे श्री राम की सेना यानि वानरों ने एक सेतु का निर्माण किया । जिसको राम सेतु के नाम से जाना गया । इस सेतु से होकर ही भगवान श्री राम और उनकी सेना ने लंका पर चढ़ाई की थी । जब श्री राम ने रावण का वध किया उसके बाद उन्होंने अपने हाथों से निर्माण सेतु स्वंय ही तोड़ दिया । यह बात बहुत कम लोग जानते है । और न ही यह जानते है कि सेतु क्यों तोड़ दिया गया ।
अगर आप श्री वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण पड़ते है तो उसमें आप को यह तथ्य जरूर मिलेगा परन्तु तुलशी दास जी द्वारा रचित रामायण में यह बात नही बताई गयी है । जब श्री राम ने रावण का वध कर दिया उनके बाद राम जी के मन में विभीषण से मिलने की इच्छा हुई
श्री राम अपने पुष्पक विमान में सवार होकर विभीषण से मिलने गये ।
श्रीराम तीन दिन तक लंका में ठहरते हैं और विभीषण को धर्म अधर्म का ज्ञान देते हैं और कहते हैं कि तुम हमेशा धर्म पूर्वक इस नगर पर राज्य करना । इसके बाद जब श्री राम भगवान वहां से चलने लगे तो विभीषण बोले प्रभु मै इस नगरी का आपके कहने पर ख्याल रखुगा परन्तु जब उस पार से मानव आकर मुझे सताए गा तो मै क्या करुगा क्युकि प्रभु में सतकर्म के मार्ग पर चलने वाला इंसान हु । में किसी मानव की हत्या नही कर सकता तब खुद ही श्री राम ने बीच से उस सेतु के दो भाग कर दिए । आज भी वह सेतु बीच से दो भागों में विभाजित है ।
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लंका पर चढाई करते हुवे श्री राम की सेना यानि वानरों ने एक सेतु का निर्माण किया । जिसको राम सेतु के नाम से जाना गया । इस सेतु से होकर ही भगवान श्री राम और उनकी सेना ने लंका पर चढ़ाई की थी । जब श्री राम ने रावण का वध किया उसके बाद उन्होंने अपने हाथों से निर्माण सेतु स्वंय ही तोड़ दिया । यह बात बहुत कम लोग जानते है । और न ही यह जानते है कि सेतु क्यों तोड़ दिया गया ।
अगर आप श्री वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण पड़ते है तो उसमें आप को यह तथ्य जरूर मिलेगा परन्तु तुलशी दास जी द्वारा रचित रामायण में यह बात नही बताई गयी है । जब श्री राम ने रावण का वध कर दिया उनके बाद राम जी के मन में विभीषण से मिलने की इच्छा हुई
श्री राम अपने पुष्पक विमान में सवार होकर विभीषण से मिलने गये ।
श्रीराम तीन दिन तक लंका में ठहरते हैं और विभीषण को धर्म अधर्म का ज्ञान देते हैं और कहते हैं कि तुम हमेशा धर्म पूर्वक इस नगर पर राज्य करना । इसके बाद जब श्री राम भगवान वहां से चलने लगे तो विभीषण बोले प्रभु मै इस नगरी का आपके कहने पर ख्याल रखुगा परन्तु जब उस पार से मानव आकर मुझे सताए गा तो मै क्या करुगा क्युकि प्रभु में सतकर्म के मार्ग पर चलने वाला इंसान हु । में किसी मानव की हत्या नही कर सकता तब खुद ही श्री राम ने बीच से उस सेतु के दो भाग कर दिए । आज भी वह सेतु बीच से दो भागों में विभाजित है ।
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