डैथ वैली जहां पत्थर खुद ही चलते है ।
आपने आज तक पत्थरो को चलते हुवे देखा है । हाँ जी सही सुन रहे है आप दुनिया में एक जगह ऐसी भी है । जहाँ पत्थर खुद ही चलते है । पत्थर इधर से उधर करना आम इंसान के तो बस से बहार है । क्योंकि एक छोटे से पत्थर में भी 1 क्विंटल से अधिक वजन होता है परंतु यहां तो इतने बड़े पत्थर खुद ही चलने लगते है । और अपने वर्तमान स्थान से बहुत दूर चले जाते है ऐसा लगता है जैसे इन पत्थरों को किसी ने उनकी जगह से खिसका दिया हो ।
उस स्थान का नाम है डैथ वैली यह कैलिफोर्निया में स्थित है । डैथ वैली में पत्थर खुद ही चलते है । इस घाटी की लंबाई 225 किलो मीटर है । अलग अलग स्थान पर इसकी चौड़ाई भिंन - भिंन हो जाती है । और सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि यहां रात को तापमान इतना ठंडा हो जाता है कि इंसान का खून जमने लगता है । और दिन में पारा इतना हाई हो जाता है । कि इंसान जिन्दा जलने क्लग जाता है ।
अमेरिका के मौसम विभाग का कहना है कि यहाँ मौसम का ठंडा गर्म होना घाटी में रेत के होने से है। क्योंकि रेत दिन में गर्म हो जाता है और रात में ठंडा होने लगता है । कुछ लोग घाटी से उस पार सोने की तलाश में जाते थे । परंतु वो लोग बिना पानी और दिन में बढ़ते तापमान की वजह से घाटी में ही मर जाते थे । तब से घाटी का नाम डैथ वैली रखा गया ।
1980 में हैम्पशायर,मैसाचुसेट्स कॉलेज के
प्रोफेसर जोनरीड ने इन सरकते पत्थरों को लेकर एक अध्ययन किया। उनका निष्कर्ष था कि संभवत: रात को जमने वाली बर्फ और हवा के अद्भुत मेल से पत्थर सरकते होंगे लेकिन इसे संतोषजनक उत्तर नहीं मान जाता।
पर आज तक इस पर खोज जारी है।परन्तु कोई पता नही।लगा सका की पत्थर क्यू खिसकते है ।
पत्थर थोड़े बहुत नही कई कई मील तक खिसक जाते है । और ये अपने पीछे एक पटरी छोड़ जाते है जिससे इनके सरकने का अहसास होता है । अमेरिका के वैज्ञानिकों ने चिंहित किया कुछ दिन बाद देखा तो वो पत्थर वहां से बहुत दूर जा चुके थे । ऐसा लगता था जैसे इन पत्थरों को किसी ने एक स्थान से दूसरे स्थान पर रख दिया हो । पर आज तक इस बात का कोई पता नही लगा पाया ।
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