आरती श्री जगदंबा जी की Aarti Shree Jagdama Ji
 आरती श्री जगदंबा जी की 
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी कोई तेरा पार न पाया॥
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले, तेरी भेंट चढ़ाया॥ सुन….।।
सारी चोली तेरे अंग बिराजे, केसर तिलक लगाया॥ सुन….।।
ब्रह्मा वेद पढे तेरे द्वारे, शंकर ध्यान लगाया॥ सुन….॥
नंगे नंगे पैर से तेरे, सम्मुख अकबर आया, सोने का छ्त्र चढ़ाया॥ सुन….॥
ऊंचे ऊंचे पर्वत बन्यौ शिवालों, नीचे महल बनाया॥ सुन….॥
सतयुग द्वापर त्रेता मध्ये, कलयुग राज सवाया॥ सुन….॥
धूप, दीप, नैवेध आरती, मोहन भोग लगाया॥ सुन….॥
 ध्यानू भगत मैया तेरा गुण गावे, मनवांछित फल पाया॥ 
आरती श्री जगदंबा जी की ….













 
 
 
 
 
 
 
 
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